इससे अधिक में तुम्हें नही मानता
ईश्वर
तुम हो
तुम कुछ तो हो ,
कयोंकि
तुम्हारे भय का अहसास
मेरी रगों में समाया है
तुम अस्तित्व विहीन नही हो
तुम्हारा कुछ अस्तित्व तो है
इसे में मानता हूँ ।
पर तुम्हे
दीप दिखाना
घंटी बजाना
और रिझाना
मेरे वश में नहीं
मेरे लिए इतना ही बहुत है
कि तुम हो
सदा मेरे आसपास हो
तुम्हारी मौजूदगी का अहसास
मुझे सदा अपने इर्द गिर्द
महसूस होता है ।
में तुम्हारा हूँ
तुम मेरे हो
सदा के लिए
इससे अधिक
में तुम्हें नही मानता ।
.........पवन बख्शी
रचना २६/०५/०५
No comments:
Post a Comment